शास्त्रों के अनुसार शनि महाराज का जन्म जयेष्ठ महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को हुआ है। ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि किसी भी दिन हो सकती है इसलिए जब शनिवार के दिन यह अमावस्या आती है तो इसका महत्व बढ़ जाता है। इस वर्ष शनिवार 4 जून के दिन शनि जयंती होने से इसका महत्व बढ़ गया है। इसलिए शनि के अशुभ प्रभाव में कमी लाने के लिए इस दिन आप कुछ आसान से उपाय कर सकते हैं। क्योंकि इस अवसर पर किया गया उपाय विशेष फलदायी माना गया है।अपने से 19 गुणा लंबा काला धागा लेकर उसकी माला बनाएं और शनि महाराज का ध्यान करते हुए धारण करें।शनि जयंती की शाम में पीपल की जड़ में मीठा जल चढ़ाएं और वहीं बैठकर शनि चालीसा का पाठ करें। शनि स्तोत्र का भी पाठ कर सकते हैं।
काले कपड़े में शमी वृक्ष की जड़ को बांधकर अपनी दांयी बाजू पर धारण करें, शनि महाराज आपका बुरा नहीं करेंगे बल्कि उन्नति में सहायक होंगे।
शनि जयंती के दिन शमी के वृक्ष को घर में लगाएं और नियमित उसकी पूजा करें तो घर में वास्तु दोष दूर होगा और शनि की कृपा बनी रहेगी।
तिल के तेल का दीपक काली बाती से जलाकर शनि महाराज की आरती करें।
उड़द की दाल की खिचड़ी बनाकर भूखे व्यक्तियों को भोजन कराने से शनि की कृपा प्राप्त होती है।
गाय को काले चले और गुड़ खिलाएं और कुत्ते को तेल लगाकर रोटी।
घोड़े के नाल की अंगूठी धारण करने के लिए भी यह दिन बढ़िया है। शनि महाराज की मूर्ति से स्पर्श करवाकर अंगूठी धारण करना शुभ रहेगा।
